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Said hindi sayri

                  Said hindi sayri  1) दर्द खरीदकर मुझे अपना सुखन बेचना है मुज्जैसे कल्ब(दिल) तो मैंने बाजारों मै बिकते देखे है कोई मिलजाए खरीदार तो उसे  अपनामोहब्बत भरा दिल बेचना है खुतबा(भाषण) दे देकर बुलाया जाता लोगों को खस्ता(घायल)हो या  खुस्क(सुखा) हो कीमत सबकी लगाई जाती है मुझे खुद अब वहा नीलाम होकर अपना जमाल (सुंदरता) बेचना है। 2) तु तो एक धुवा था हम ही तुझे हमसफ़र समझ बैठे तेरा ईश्क तो एक जुवा था जिसे खेलकर हम मुफ्लिश हुवे बैठे। 3) पुछा मैंने लहज़ा तेरा क्यों बदला सा लगता है दिलने मुजको दस्तक दी तेरा ईश्क तक्सीम किया है उसने फ़िर से गैरो मै। 4) कोन आया है यहां उम्र बिताने की खातिर ग़ालिब ज़िन्दगी अब कट रही है मेरे हाथो से रेत फिसल रही है मेरी उम्र अब ढल रही है। 5) तेरा ईश्क मुजपर एक कर्ज हो गया जिसे किस्तों मै मै चुका भी ना पाया हो सके तो माफ़ करना मै तुम्हे अपना बना ना पाया। COPYRIGHT NOTICE © Mansuri Riyaz @my writing words Any unauthorized use and/or duplication of the material on this blog without express and

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#NRC & #CAB sacchai kahne ki kosis 

Hindustan hamara  jaye kaha raha hai..


असली मुद्दों से हटाये जा रह है
 हमे NRC के नाम पर बटवाया जा रहा है

 बेरोजगारी को दिखाया नहीं जाता
 लड़ाई ओर हुल्लडॉ को बताया जा रहा है

ए हिन्दुस्तान तू धर्म  के नामपर कोनसी राह पे जा रहा है
अपने ही संविधान को तू जुठला रहा है सियासत से तु मजहब की बाते जान रहा है

 ये खुद ही एक काला साया  है
 खुर्शी पे अपना दबदबा बनाया जा रहा है
हिन्दू हो या मुस्लिम हो
हिंदुस्ता ये  सबका है

इस मिट्ठी का खुन है सब में
वो भी मिटाया जा रहा है
ऐ हिन्दुस्ता तु कोनसी राह  पे जा रहा है ।।

COPYRIGHT NOTICE

© Mansuri Riyaz @my writing words

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                  Said hindi sayri  1) दर्द खरीदकर मुझे अपना सुखन बेचना है मुज्जैसे कल्ब(दिल) तो मैंने बाजारों मै बिकते देखे है कोई मिलजाए खरीदार तो उसे  अपनामोहब्बत भरा दिल बेचना है खुतबा(भाषण) दे देकर बुलाया जाता लोगों को खस्ता(घायल)हो या  खुस्क(सुखा) हो कीमत सबकी लगाई जाती है मुझे खुद अब वहा नीलाम होकर अपना जमाल (सुंदरता) बेचना है। 2) तु तो एक धुवा था हम ही तुझे हमसफ़र समझ बैठे तेरा ईश्क तो एक जुवा था जिसे खेलकर हम मुफ्लिश हुवे बैठे। 3) पुछा मैंने लहज़ा तेरा क्यों बदला सा लगता है दिलने मुजको दस्तक दी तेरा ईश्क तक्सीम किया है उसने फ़िर से गैरो मै। 4) कोन आया है यहां उम्र बिताने की खातिर ग़ालिब ज़िन्दगी अब कट रही है मेरे हाथो से रेत फिसल रही है मेरी उम्र अब ढल रही है। 5) तेरा ईश्क मुजपर एक कर्ज हो गया जिसे किस्तों मै मै चुका भी ना पाया हो सके तो माफ़ करना मै तुम्हे अपना बना ना पाया। COPYRIGHT NOTICE © Mansuri Riyaz @my writing words Any unauthorized use and/or duplication of the material on this blog without express and

Disaster fire on animals in Australia / ऑस्ट्रेलिया में जानवरों पर आग की आपदा पर कविता

                     ऑस्ट्रेलिया में जानवरों पर आग की आपदा दुवा ए मांग रहा हु रबसे उन जानवरो के खातिर जो आग में ही  झुलसते जा रहे थे उस पल में क्या बित रही होगी  दिल पे उनके हम महसूस भी  ना करपाएंगे आग की  लपटों में ही उनका दम निकला है उस पल में सन्नाटा सा छाया था कोहराम मचाया आगने पंछियो का उड़ना भी मुश्किल था उस पल में उनकी चीखे  तक ना महसूस  हुई थी कही दब सी गई थी वादियो में अब खून बहा नही होगा उनका  सुख गया था  उस पल में किसी का घोसला जलता किसी का घर सुलगता था हर जानवर चीखता जब वो आग से लीपट ता था किसी माँ का बेटा भी ग़ुम हुवा था उस पल में जंगल मे  लगी आग थी कहियो को इसने रुलाया जिसने खोया होगा अपना वो रो भी नही पाया सबका बचना मुश्किल था उस पल में जिना मुश्किल था जानवर का  हाल था ऐसा हर कोई जीना चाहता था कोशिश सबकी नाकाम हुई थी आग जीती थी उस पल में जंगल की सरहद पे लोहे वाले काटे थे जानवर बचने खातिर उससे लिपटे जाते थे सरहद पे काटे ना होते तो कुछ जानवर बच जाते कुदरत का  लिखा किसने टाला जो होना था हो चुका उस पल में..... COPYRIGHT NOTI